माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर छत्तीसगढ़ कर रहा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ ,अंकसूची में छोटी सी त्रुटि सुधार करने में लग रहे महीनो



 रायपुर: प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू और व्यवस्थित करने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करती है एक ओर कहा जाता है कि छात्रों को डिजिटल और अच्छे से अच्छी सुविधा मुहैया कराई जा रही है। दूसरी ओर उनके दावों की पोल तब खुलती है जब आप मध्यमिक शिक्षा मंडल के सरकारी कार्यालय में कार्य करवाने जाते हैं वहां बैठे अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं और आपके काम को जल्द से जल्द हो जाएगा कहकर महीनो लगा देते हैं।


मामला है धमतरी की एक 12 वी कक्षा की छात्रा वैष्णवी देवांगन के अंकसूची में अंग्रेजी नाम में सरनेम में Dewangan के जगह Dewagan लिख दिया गया है। अंकसूची में छोटी सी त्रुटि हो गई है । छात्रा त्रुटि सुधार के लिए आवेदन करती है । 13 मार्च को किया गया आवेदन अब वर्तमान में अक्टूबर माह में भी उसके अंक सूची में सुधार नहीं किया गया है जब इस विषय पर वह लगातार कार्यालय में जाकर पता करते हैं तो उन्हें बाबू छुट्टी पर है आपका प्रकरण आगे बढ़ा दिया गया है। ऐसे दावे किए जाते हैं और अधिकारी द्वारा कहा जाता है की एक महीने और लगेगा उसके बाद मार्च से आज अक्टूबर महीना हो जाता है फिर उन्हें यही कहा जाता है की एक महीना और लगेगा आखिर त्रुटि सुधार करने में इतना वक्त क्यों लगाया जा रहा है इसका जवाब ना तो किसी अधिकारी के पास है ना ही उच्च पद पर बैठे किसी सचिव के पास है। अब छात्र ऐसे में किसके पास जाए और अपनी समस्या की गुहार किससे लगाए यह कह पाना मुश्किल है। 


 इसके लिए जिम्मेदार कौन?


इसके लिए जिम्मेदार किसे कहा जाए पहले तो अंकसूची में सरनेम में त्रुटि की गई। अब उसे सुधार करने के लिए महीनो बीत गए लेकिन इसका सुधार नही हुआ है। शिक्षा मंडल का कार्य शैली का पता इससे लगा लीजिए । ये किस प्रकार सोए हुए हैं की एक सरनेम के छोटे से सुधार के लिए 6 महीने का ज्यादा का समय बीत चुका है । लगातार मा शि मा रायपुर कार्यालय में इसके लिए चक्कर काटने के लिए मजबूर है ।

छात्रा का भविष्य अधर में


अब छात्रा का अंकसूची में सुधार कब होगा और वह आगे एडमिशन के लिए नए अंकसूची के इंतजार में है। ताकि उसका सुधार हुआ वाला अंकसूची दे सके । लेकिन मध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर को इससे कोई वास्ता नहीं है। अब ऐसे में छात्रा वैष्णवी देवांगन त्रुटी वाली अंकसूची से आगे की एडमिशन करवाने को मजबूर है। फिर उसे ऐसे ही गलत सरनेम वाले के साथ आगे भी अंकसूची मिलेगी । भविष्य में किसी नौकरी या किसी भी चीज के लिए आवेदन करेगी तो उसका गलत सरनेम वाला अंकसूची ही चलता रहेगा । और उसके सुधार के लिए वह भटकते रहेगी। छात्रा का भविष्य ऐसे ही अधर पर है। ऐसा मामला केवल एक नही कई सारे होंगे । लेकिन कोई इसको सुध लेने वाला नही है। हर कोई मीडिया के पास सरकार के पास जाता नही है। ले दे के काम करवाने को मजबूर है।



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