रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के 63 समेत 77 पदों के लिए हुए वॉक इन इंटरव्यू में केवल दो डॉक्टर शामिल हुए। इनमें एक रेडियोथैरेपी व दूसरा पैथोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आया था। यहीं नहीं दो में एक डॉक्टर ही पात्र मिला। बड़ा सवाल है कि क्या अब डॉक्टरों की टीचिंग में रूचि कम हो रही है? इसलिए वे मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करने से बच रहे हैं। हालांकि कुछ लोग कम वेतन व डॉक्टरों की कम उपलब्धता को भी कारण बता रहे हैं।
कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 53, सीनियर रेसीडेंट के 10, सीएमओ के 11 समेत अन्य पदों के 14 पद खाली है। इन पदों को भरने के लिए वॉक इन इंटरव्यू किया गया। थोरेसिक सर्जरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के सभी 5 पद खाली है। वहीं मेडिसिन में 7 व रेडियो डायग्नोसिस विभाग में 6 पद खाली है। कॉलेज में हर माह वॉक इन होता है, जिसमें गिनती के डॉक्टर पहुंच रहे हैं। सितंबर में महज 9, अगस्त में 10 डॉक्टर ही पहुंचे थे।
इस ट्रेंड को देखते हुए लगता है कि असिस्टेंट प्रोफेसर में ज्वाइन कराने के लिए कॉलेज को डॉक्टर ही नहीं मिल रहे हैं। चूंकि इस पद के लिए यंग डॉक्टरों की जरूरत होती है। ये यंग डॉक्टर सरकारी के बजाय निजी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ज्वाइन करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। निजी कॉलेज में वेतन भी ज्यादा मिलता है और नॉन प्रेक्टिस अलाउंस का झंझट भी नहीं है। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए डॉक्टर नहीं आ रहे हैं। चूंकि ये संविदा नियुक्ति है इसलिए भी डॉक्टर ज्वाइन करने के इच्छुक नहीं हैं।
राजधानी समेत प्रदेश में मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 4 साल में तीन नए निजी कॉलेज खुल गए हैं। अब 5 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं। इससे सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अच्छे वेतन पर निजी कॉलेज ज्वाइन करने का विकल्प भी मिल गया है। पहले ये विकल्प कम था।
रायपुर में ही तीन निजी मेडिकल कॉलेज है। अगले साल एक और कॉलेज चालू होने की संभावना है। सरकारी की तुलना में निजी कॉलेजों में 15 से 20 फीसदी वेतन ज्यादा दिया जा रहा है। यही कारण है कि कई डॉक्टर आंबेडकर में नौकरी छोड़ने के बाद निजी मेडिकल कॉलेज ज्वाइन कर रहे हैं।