दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी के बाद सीबीआई मामले में भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. वे आज शाम तक तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने सीबीआई की गिरफ्तारी को वैध ठहराया है और बेल की शर्तें तय की हैं. कोर्ट ने जमानत के लिए वहीं शर्तें लगाई हैं, जो ईडी केस में बेल देते वक्त लगाईं थीं. केजरीवाल को बाहर आकर उन शर्तों का पालन करना होगा. माना जा रहा है कि रिहाई की शर्तों की वजह से केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. उन्हें सरकार चलाने में मशक्कत झेलनी पड़ सकती है. फिलहाल, केजरीवाल की रिहाई से पार्टी नेता से लेकर कार्यकर्ता तक खुश हैं. सीएम आवास से लेकर पार्टी दफ्तर तक में जश्न मनाया जा रहा है. सात पॉइंट में जानिए केजरीवाल की रिहाई के मायने.
दरअसल, दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल भी फंसे हैं. ईडी ने नवंबर 2023 से मार्च 2024 तक केजरीवाल को 9 समन भेजे. लेकिन वे पूछताछ में शामिल नहीं हुए. उसके बाद ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को केजरीवाल को तिहाड़ जेल भेजा गया. इस बीच, 26 जून को सीबीआई ने केजरीवाल को अरेस्ट कर लिया. बाद में 12 जुलाई को ईडी केस में केजरीवाल को जमानत मिल गई, लेकिन सीबीआई की गिरफ्तारी के कारण जेल से रिहाई नहीं हो सकी. आम आदमी पार्टी लगातार दावा कर रही है कि बीजेपी ने केजरीवाल को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया है. वहीं, बीजेपी कह रही है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय.
केजरीवाल को किन शर्तों का करना होगा पालन?
- जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल किसी भी फाइल पर दस्तखत नहीं कर पाएंगे. जब तक ऐसा करना जरूरी ना हो.
- केजरीवाल के दफ्तर जाने पर भी पाबंदी रहेगी. वे ना तो मुख्यमंत्री कार्यालय और ना सचिवालय जा सकेंगे.
- इस मामले में केजरीवाल कोई बयान या टिप्पणी भी नहीं कर सकते हैं.
- किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं कर सकते हैं.
- इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल को नहीं मंगा सकते हैं. ना देख सकते हैं.
- जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे.
- 10 लाख का बेड बॉन्ड भरना होगा.