गुरु का स्थान समाज में सर्वोच्च एवं अत्यंत सम्मानीय

 

गरियाबंद।  प्राचीन काल से ही हमारे समाज में गुरु का स्थान सर्वोच्च एवं अत्यंत सम्मानीय है। गुरु की तुलना ईश्वर से कर समाज में गुरु की महत्ता एवं प्रासंगिकता को रेखांकित किया जाता है। गुरु एवं शिक्षक राष्ट्र एवं समाज के निर्माता होते हैं। राज्य शासन द्वारा गुरुजनों के सम्मान के लिए स्कूलों में गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम आयोजन के तारतम्य में जिले के स्कूलों में भी गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। गुरुओं के सम्मान के लिए आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव के रूप में मनाई गई कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षकों, वरिष्ठ नागरिकगणों एवं साधु - संतो का शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शामिल गुरुओं ने प्रेरणादायी बातों एवं अपने अनुभवों को साझा कर बच्चों को प्रोत्साहित किया। साथ ही अपने वरिष्ठजनों एवं गुरुओं के मानसम्मान को बनाये रखने का ज्ञान एवं जीवन में उनके महत्व को विस्तार से बताया। गुरू पूर्णिमा के कार्यक्रम में बच्चों को भी अपने गुरूओं से ज्ञान अर्जित करने एवं उनका सम्मान करने की सीख मिली। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकों, अतिथियों एवं विद्यार्थियों ने गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर गुरूओं ने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता, गुरूओं तथा बड़े-बुजुर्गों का मन से सदा सम्मान करने एवं इनके बताएं हुए रास्तों पर चलने को कहा। साथ ही विद्यार्थी जीवन को व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण कालखण्ड बताते हुए सभी विद्यार्थियों को परिश्रम एवं लगन के साथ-साथ पूरे मनोयोग से विद्या अध्ययन कर जीवन में उपलब्धि हासिल करने की सीख दी।

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