गरियाबंद। मछलीपालन विभाग द्वारा 15 अगस्त 2024 तक बंद ऋतु घोषित कर मत्स्याखेट पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश का जिले में पूर्णतः पालन सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर दीपक अग्रवाल के निर्देशानुसार मत्स्याखेट पर लागू प्रतिबंध अवधि की निगरानी की जा रही है। मत्स्याखेट पर लागू प्रतिबंध अवधि में मत्स्य पालन विभाग द्वारा सक्रिय होकर लगातार चेकिंग भी की जा रही है। सहायक संचालक मछलीपालन विभाग आलोक वशिष्ट ने बताया कि बंद ऋतु मछलियों के प्रजनन का काल होता है। इस अवधि में मछली की संख्याओं में बढ़ोतरी होती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के नदियों - नालों तथा छोटी नदियों, सहायक नदियों में जिन सिंचाई के तालाब, जलाशय (बड़े या छोटे) जो निर्मित किये गये है, में किये जा रहे केज कल्चर के अतिरिक्त सभी प्रकार का मत्स्याखेट 15 अगस्त 2024 तक पूर्णतः निषिद्ध किया गया है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर एक वर्ष का कारावास अथवा 10 हजार रूपये का जुर्माना अथवा दोनों एक साथ होने का प्रावधान है। उक्त नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नदी नाले से नहीं है, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर में लागू नहीं होंगे।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने कुछ दिन पहले आमदी-म में शासकीय मछली पालन केन्द्र का निरीक्षण करते हुए स्पॉन उत्पादन एवं संवर्धन के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। साथ ही बारिश के सीजन में मछली बीज के उत्पादन के तैयारियों का अवलोकन कर विभाग की योजनाओं से अधिक से अधिक हितग्राहियों को लाभान्वित करने के निर्देश मछलीपालन विभाग के अधिकारियों को दिये थे। साथ ही बंद ऋतु में मत्स्याखेट पर पाबंदी की निगरानी करने के निर्देश दिये थे। इसी तारतम्य में विभाग के मैदानी अमलों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है। सहायक संचालक मछलीपालन ने बताया कि जिले में स्पॉन उत्पादन का लक्ष्य 12 करोड़ है, जिसमें से 7 करोड़ 34 लाख का उत्पादन हो चुका है। लक्ष्य की पूर्ति समय पर की जायेगी। उन्होंने बताया कि जिले के मत्स्य कृषकों को अगले माह से मत्स्य बीज उपलब्ध हो जायेगा।