लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य विधानमण्डल के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए तल्ख टिप्पणियां कीं और कहा कि यही वजह है कि नेता जैसा सम्मानजनक शब्द अब अपमानजनक लगने लगा है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए 18 फरवरी को अभिभाषण के दौरान विपक्ष के रवैये का जिक्र किया और कहा, ''अच्छी चीजों को स्वीकारा जाता है और बुरी चीजों को छोड़ा जाता है, लेकिन यहां पर उल्टा देखने को मिलता है. बुरी चीजों को परिपाटी मानकर और भी बुरा कैसे किया जाए, इसकी प्रतिस्पर्धा की जाती है. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इससे हमारे नेता और कार्यकर्ता विश्वसनीयता के संकट से गुजरते हैं. इसीलिए लोग उन्हें संदेह की नजरों से देखते हैं.''
इस दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का जिक्र आने पर विपक्षी सदस्यों की आपत्ति पर मुख्यमंत्री ने उन्हें बात सुनने की नसीहत दी और कहा, ''मैं जानता हूं कि आप लोग किस प्रकार की भाषा सुनते हैं. उसी प्रकार का डोज भी मैं समय-समय पर देता हूं.'' इसपर सपा सदस्य नरेश उत्तम ने आपत्ति करते हुए कहा, ''मुख्यमंत्री बार-बार ठीक कर दूंगा, डोज़ दे दूंगा की बात करते हैं. मुख्यमंत्री खुद योगी हैं. उन्हें इस तरह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए.''
इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और सपा सदस्यों के बीच काफी तीखी नोकझोंक हो गई. योगी ने सपा सदस्यों को शिष्टाचार सीखने की नसीहत दी और कहा, ''जो जिस भाषा को समझेगा, उसे उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा.'' इस दौरान सपा के सदस्य खड़े होकर विरोध जताने लगे तो सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें बैठकर मुख्यमंत्री की बात सुनने को कहा. योगी ने कहा, ''आजादी के पहले जो नेता शब्द सम्मान का प्रतीक था... आजादी के बाद आज ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई कि आज वही शब्द अपमानजनक प्रतीत होने लगा.'' उन्होंने कहा ''अगर किसी को लगता है कि वह जितनी उद्दंडता कर लेगा, जितनी जोर से सदन में चिल्ला लेगा, उसके लिए उसकी तारीफ होगी, तो मुझे लगता है कि यह उसकी गलतफहमी है. जनता इसको बहुत अच्छे ढंग से नहीं लेती है.''
स्टेट गेस्ट हाउस कांड कौन नहीं जानता?- योगी
योगी ने विपक्ष खासकर सपा सदस्यों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ''नेता विरोधी दल (अहमद हसन) को छोड़ दें तो उनके जो अन्य सहयोगी हैं, उनसे बहुत उम्मीद भी नहीं की जाती. उनका बहुत पुराना इतिहास भी रहा है महिलाओं का अपमान करने का. स्टेट गेस्ट हाउस कांड कौन नहीं जानता? इन लोगों का जो इतिहास रहा है, उसको देखते हुए हर व्यक्ति इस बात को जानता है कि कैसे-कैसे कृत्य हुए हैं, लेकिन सदन के अंदर तो कम से कम इन चीजों को बचाकर के रखिए.''
गौरतलब है कि गत 18 फरवरी को राज्य विधानमण्डल के बजट सत्र की शुरुआत पर समवेत सदन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान तमाम विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया था. मुख्यमंत्री ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भारत में संक्रमण के खिलाफ लड़ाई का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए कहा कि नेतृत्व बदल जाता है तो कैसे देश की तकदीर बदल जाती है.
योगी ने शरशैया पर लेटे भीष्म पितामह द्वारा युधिष्ठिर से बातचीत के दौरान पढ़े गए श्लोक ''राजा कालस्य कारणम'' का जिक्र करते हुए कहा कि किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि राजा ही अपने समय की परिस्थितियों का निर्माण करता है, अपने समय के स्वरूप का निर्धारण करता है और वह अपने समय का निर्माता होता है. राजा परिस्थितियों का परिणाम नहीं, बल्कि उनका निर्माता होता है. उन्होंने कहा, ''पांच हजार वर्ष पहले कही गईं यह बातें पिछले छह वर्षों के दौरान दिखी होंगी कि कैसे भारत की तस्वीर को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम हुआ है.''
प्रयागराज: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा गंगा और यमुना नदी में नाव पर यात्रा कर पिछड़े वर्ग के वोटरों को साधने की कोशिश करेंगी. प्रियंका के निर्देश पर उनकी कांग्रेस पार्टी एक मार्च से नदी अधिकार यात्रा शुरू करने जा रही है. 20 दिनों की इस यात्रा की शुरुआत प्रियंका गांधी वाड्रा के पुरखों के शहर संगम नगरी प्रयागराज से होगी. तकरीबन 400 किलोमीटर की इस यात्रा में मिर्जापुर, वाराणसी और बलिया समेत कुछ जगहों पर खुद प्रियंका गांधी भी शामिल होंगी. यात्रा का समापन 20 मार्च को बलिया के बैरिया घाट पर होगा.
बसवार गांव से होगी शुरुआत
इस यात्रा में गंगा और यमुना के किनारे के 600 गांवों में रहने वाले निषादों और पिछड़ी जातियों को दूसरे लोगों को साधने की कवायद की जाएगी. ये यात्रा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर निकाली जा रही है. यात्रा के आयोजन की जिम्मेदारी यूपी में पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ को दी गई है. नदी अधिकार यात्रा की शुरुआत एक मार्च को प्रयागराज के उसी बसवार गांव से होगी, जहां प्रियंका गांधी ने निषाद समुदाय के लोगों के बीच चौपाल लगाई थी. प्रियंका ने यहां पुलिस ज़्यादती का शिकार हुए निषादों को नावों की मरम्मत के लिए 10 लाख रूपये की आर्थिक मदद देने का एलान किया है. इसके अलावा उन्होंने कुछ नाविकों की बच्चियों के लिए उपहार में कपड़े भी भेजे हैं.
यूपी में सक्रिय हैं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी इन दिनों अपने पुरखों के शहर प्रयागराज को ही केंद्र बनाकर यूपी में सक्रिय हैं. प्रयागराज में 11 फरवरी को उन्होंने मौनी अमावस्या के दिन संगम में आस्था की डुबकी लगाकर आस्था यात्रा की थी तो उसके 10 दिन बाद 21 फरवरी को उन्होंने बसवार गांव में निषाद समुदाय के बीच चौपाल लगाकर तीन किलोमीटर तक यमुना के कछार में पैदल यात्रा भी की थी.
लोगों को जागरूक किया जाएगा
प्रियंका इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी प्रयागराज से वाराणसी के बीच तीन दिनों की बोट यात्रा निकाल चुकी हैं. यूपी कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज यादव के मुताबिक इस यात्रा के जरिए नदियों के अधिकार को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. प्रयागराज में कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष नफीस अनवर के मुताबिक प्रियंका गांधी प्रयागराज को अपनी सियासत का केंद्र बनाकर पूरे देश को संदेश देना चाहती हैं.
मुजफ्फरनगर: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में हिस्सा लिया. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसानों को अपमानित किया गया, उन्होंने 'देशद्रोही' और 'आंदोलनजीवी' कहा गया. दिल्ली का बॉर्डर प्रधानमंत्री के आवास से पांच किलोमीटर दूर है. पीएम मोदी ने पूरी दुनिया में भ्रमण किया लेकिन लाखों किसानों के पास जाकर उनके आंसू नहीं पोछ पाएं, उनकी राजनीति सिर्फ अपने खरबपति मित्रों के लिए है.
प्रियंका गांधी ने कहा, "यहां आना मेरा धर्म है और यहां आकर मैं किसी पर एहसान नहीं कर रही हूं. पीएम ने किसानों का मजाक बनाया. उन्हें परजीवी और आंदोलनजीवी कहा. राकेश टिकैत जी के आंखों में आंसू आते हैं तो पीएम मोदी के होठों पर मुस्कान आती है.
महापंचायत के संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भ्रमण करने के लिए दो हवाई जहाज खरीदे जिनकी कीमत 16 हजार करोड़ से ज्यादा की है लेकिन उनके पास किसानों के भुगतान के लिए पैसे नहीं है. संसद भवन, इंडिया गेट की सुंदरता के लिए 20 हजार करोड़ की स्कीम बन रही है और आपके गन्ने के दाम के भुगतान के लिए पैसे नहीं है."
प्रियंका गांधी ने कहा कि पुरानी कहानियों में अंहकारी राजा होते थे. जैसे-जैसे उनकी सत्ता बढ़ती चली जा रही थी वो महल में बंद हो जा रहे थे. उनके सामने लोग सच्चाई कहने से डरने लगे, गिड़गिराने लगे, उनका अहंकार बढ़ने लगा. हमारे पीएम भी उन्हीं अहंकारी राजाओं जैसे बन गए हैं. उनको यह भी समझ नहीं आ रहा कि जो जवान इस देश की सीमा को सुरक्षित रखता है, वो जवान किसान का बेटा है. पीएम को उस जवान और किसान का आदर करना चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "पीएम मोदी ने आपके सामने आकर हर चुनाव में ये वादा किया था कि गन्ने का भुगतान आपको दिया जाएगा. मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या आपको मिला? उन्होंने कहा था कि आपकी आमदनी दोगुनी होगी. क्या आपकी आमदनी दोगुनी हुई?" उन्होंने दावा किया कि धीरे-धीरे सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी तो आप लोगों का एमएसपी बंद हो जाएगा. नए कानूनों के तहत एमएसपी खत्म होगा.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तट से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी के बीच इसको लेकर सियासत भी खूब हो रही है. डिसइंगेजमेंट को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से उठाए गए सवालों के बाद रक्षा मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को बयान जारी किया गया. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए निशाना साधा. इस बीच, राहुल ने एक बार फिर से डिसइंगेजमेंट को लेकर केन्द्र सरकार से तीन सवाल पूछते हुए जवाब मांगा है.
राहुल गांधी गांधी के तीन सवाल-
1-क्यों हमारी सेना के जवानों को कैलाश रेंज में मजबूती वाले पॉजिशन से वापस बुलाया जा रहा है?
2- क्यों हम अपनी जमीन सौंप रहे हैं और फिंगर 4 से सेना की वापसी कर फिंगर 3 पर ला रहे हैं?
3-क्यों चीन डेपसांग प्लेन्स और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स से सैनिकों को वापस नहीं बुलाया है?
जेपी नड्डा का राहुल पर हमला
गौरतलब है कि इससे पहले, एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को बड़ा पलटवार किया है. नड्डा ने कहा कि वर्तमान डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में सरकार की तरफ से भारतीय जमीन नहीं दी गई है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एबीपी न्यूज के वीडियो डॉक्यूमेंट्री का एक हिस्सा ट्वीट करते हुए कहा- “अगर किसी ने हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन छोड़ने जमीन का पाप किया तो यह एक भ्रष्ट, कायर वंश है जिसने देश को अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए तोड़ दिया है.”
कैसे शुरू हुई डिसइंगेजमेंट?
गौरतलब है कि डिसइंगेजमेंट की रूपरेखा 24 नबम्बर को नौवें दौर के कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी थी. लेकिन दोनों देशों के टॉप मिलिट्री और पॉलिटिकल लीडरशिप से हरी झंडी मिलने के बाद इसे अंजाम दिया गया. पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कम से कम तीन जगह से भारत और चीन के टैंक पीछे हट गए हैं. इनमें से कुछ टैंक 500 मीटर से लेकर एक किलोमीटर तक पीछे चले गए हैं. पहले इन जगह पर दोनों देशों के टैंकों की पोजिशन महज़ 40-50 मीटर थी
नई दिल्ली: बंगाल में चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को एक और बड़ा झटका लगा है. टीएमसी के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है. दिनेश त्रिवेदी ने अपने इस्तीफे का ऐलान आज राज्यसभा में अपने स्पीच के दौरान किया. ऐसा माना जा रहा है कि दिनेश त्रिवेदी अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए दिनेश त्रिवेदी ने कहा, 'बंगाल में जिस प्रकार से हिंसा हो रही है, मुझे यहां बैठे-बैठे बहुत अजीब लग रहा है. मुझसे ये देखा नहीं जा रहा है. हम करें तो क्या करें. हम एक जगह तक सीमित हैं. पार्टी के भी कुछ नियम होते हैं. इसलिए मुझे भी घुटन महसूस हो रही है. उधर अत्याचार हो रहा है. तो आज मेरे आत्मा की आवाज ये कह रही है कि यहां बैठे-बैठे अगर आप चुप रहो और कुछ नहीं कहो, उससे अच्छा है आप यहां से त्यागपत्र दो. मैं यहां घोषणा करता हूं कि मैं राज्यसभा से इस्तीफा दे रहा हूं.'
बीजेपी में शामिल होंगे दिनेश त्रिवेदी
सूत्रों से जानकारी मिली है कि दिनेश त्रिवेदी पिछले एक महीने से लगातार बीजेपी से संपर्क में थे. अभी अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं से बातचीत हुई है. इसके बाद ये तय हुआ कि वह टीएमसी के इस्तीफा देंगे और बीजेपी में शामिल होंगे.
दिनेश त्रिवेदी का राज्यसभा कार्यकाल सितंबर 2020 में ही शुरू हुआ है. अगर वह अभी टीएमसी से इस्तीफा दे देते हैं तो विधानसभा चुनाव होने के बाद भी उसपर उपचुनाव होगा. बीजेपी और दिनेश त्रिवेदी का ऐसा मानना है कि बंगाल में बीजेपी की सरकार आने के बाद वह दोबारा राज्यसभा में आ जाएंगे. हालांकि उनके सामने विधानसभा चुनाव लड़ने का भी प्रस्ताव रखा गया है, लेकिन अभी ये साफ नहीं है कि वह चुनाव लड़ेंगे या दोबारा राज्यसभा में आएंगे. लेकिन इतना तय हो गया है कि वह अब टीएमसी छोड़ रहे हैं और कुछ दिनों में बीजेपी में शामिल हो जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में कोरोना वायरस के दौरान लड़ी गई लड़ाई का जिक्र करते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया. ठेले, रेहड़ी वालों को पैसे दिए गए. यह आधार, जनधन के कारण ही संभव हो पाया. उन्होंने कहा कि यहां याद रखना जरूरी है कि किन लोगों ने आधार को रोकने का प्रयास किया था और कोर्ट गए थे.
उन्होंने कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि सुधार का सिलसिला महत्वपूर्ण है. हमने इमानदारी से प्रयास किया है. कानून के कलर्स पर चर्चा जरूर कर रहे थे. अच्छा होता कि उसके कंटेंट पर चर्चा करते. ताकि किसानों तक सही चीज पहुंचती. दादा ने भी भाषण दिया. दादा ने बहुत अभ्यास किया होगा हमें उम्मीद थी. दादा बंगाल में हमारे साथी कहां जा रहे हैं यह चर्चा करते रहे.
बता दें कि पिछले करीब 80 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है. ये किसान तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर इस मुद्दे को जमकर उठाया है और नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के बयान पर पीएम मोदी ने कहा कि हां भगवान की ही कृपा है जिसके कारण दुनिया हिल गई और हम बच गए. क्योंकि डॉक्टर और नर्स भगवान का रूप बनकर आए. वो एंबुलेंस का ड्राइवर और सफाई कर्मचारी ही भगवान के रूप में आए.
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''राष्ट्रपति का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कही.'' उन्होंने कहा कि सदन में 15 घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई है. सभी सांसदों ने चर्चा को जीवंत बनाया है.
कोरोना वायरस और आत्मनिर्भर भारत
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के समय में भारत ने खुद को संभाला और दुनिया को संभलने में मदद की यह टरनिंग प्वाइंट है. हमें मजबूत खिलाड़ी के तौर पर उभरना होगा.
पीएम मोदी ने कहा, ''कोरोना के बाद एक नया वर्ल्ड ऑर्डर नजर आ रहा है. संबंधों का नया वातावरण शेप लेगा. वर्ल्ड वॉर के बाद हम मूकदर्शक बने रहे. यह उस समय की बात थी. आत्मनिर्भर भारत से दुनिया के कल्याण में हम काम आ सकते हैं.''
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की किलेबंदी को लेकर कांग्रेस ने केन्द्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली की सीमाओं किसानों के प्रदर्शन स्थल के नजदीक कंटीले तीर से घेरने को लेकर सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों के चलते किलेबंदी क्यों कर रही है, क्या ये किसानों से डरते हैं?
उन्होंने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा- “किसान हिन्दुस्तान की शक्ति है. केन्द्र सरकार का काम किसानों से बात करना और उसका समाधान तलाशना है. आज दिल्ली किसानों से घिरी हुई है. क्यों आज दिल्ली को किलेबंदी में बदला जा रहा है.”
राहुल ने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा- “क्यों सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर रही है. प्रधानमंत्री कहते है कि ऑफर टेबल पर है कि दो साल के लिए इसे रोका जा सकता है. इस समस्या का हल किया जाना चाहिए. मैं किसानों को अच्छी तरह जानता हूं, ये पीछे नहीं हटेंगे, सरकार को ही हटना पड़ेगा. ”
कांग्रेस नेता ने कहा- "किसानों को डराने धमकाने का सरकार का काम नही है. सरकार का काम किसानों से बात करके इसको सुलझाना है. सरकार किसानों से क्यों बात नही कर रही है. ये समस्या हमारे देश के लिए अच्छी नही है. किसान कही नही जा रहे हैं.
बजट पर राहुल गांधी ने कहा- "ये बजट एक प्रतिशत आबादी का बजट है. जनता के हाथ में पैसे देने की जरुरत है. चीन को लेकर सरकार क्या कर रही है?"
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमा पर किसान का विरोध प्रदर्शन का बुधवार को 70वां दिन है. अब तक सरकार और किसानों के बीच ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. ऐसे में विरोधी दलों की तरफ से आंदोलन के बहाने किसानों के समर्थन में लगातार सरकार के ऊपर हमले किए जा रहे हैं.
नई दिल्ली: चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए एक सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार 'जन कल्याण' के लिए काम कर रही है और ममता बनर्जी सरकार बंगाल में 'भतीजा कल्याण' की दिशा में काम कर रही है. ममता बनर्जी के शासनकाल में बंगाल में स्थिति वाम शासन से भी बदतर है. सीएम ममता बंगाल के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने में विफल रही हैं, इसलिए तृणमूल के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उनका दस साल का कार्यकाल तानाशाही भरा रहा. अगर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो पहली कैबिनेट की बैठक में आयुष्मान भारत योजना लागू करेंगे. अमित शाह ने कहा, "दीदी बंगाल की जनता को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिलने दे रही, क्योंकि ये योजना मोदी जी ने शुरु की. मैं बंगाल की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि बीजेपी सरकार आने के बाद हम पहली कैबिनेट में प्रस्ताव करेंगे कि राज्य में ये योजना लागू हो."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "ममता दीदी ने पिछले दिनों एक कागज भेजा है कि हम किसान सम्मान निधि योजना लागू करने के लिए सहमत हैं. दीदी आप किसे बेवकूफ बना रही हो, सिर्फ कागज भेजा है, इसके साथ किसानों की सूची चाहिए, बैंक खाते का नंबर चाहिए. आपने ये कुछ नहीं भेजा."
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, "ममता दीदी की सरकार ने बंगाल की भूमि को रक्त-रंजित किया है. दीदी ने घुसपैठियों को बंगाल में घुसने की छूट दे रखी है. घुसपैठियों को सिर्फ नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बनने वाली भाजपा सरकार ही रोक सकती है."
अमित शाह ने कहा कि टीएमसी ने 10 साल पहले वाम दलों से लड़ने के बाद सरकार का गठन किया, जिसमें ममता बनर्जी ने 'मां माटी मानुष' के नारे के साथ राज्य में बदलाव का वादा किया था. केवल 10 सालों में क्या बदल गया है कि इतने सारे लोग टीएमसी छोड़ रहे हैं?
रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किये गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सीडी के खर्च को बहुत अधिक बताते हुए उस सुझाव का विरोध किया है, जिसमें 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन के दुकानों से दिये जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। विकास उपाध्याय ने कहा, कि खाद्य सब्सीडी पर बचत के बजाय जीवन बचाना सरकार की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए दूसरे उपायों पर विचार करे।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किये गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, कि सरकार अपनी पार्टी की राजनीति चमकाने अच्छे स्तर पर कार्य कर रही है, परन्तु अर्थव्यवस्था के मामले में पूरी तरह से असफल है। मोदी सरकार ने सीधे बैंक ट्रांसफर के जरिये कई लाख करोड़ रूपये बांटकर चूपके से तेल के गिरते दामों के बीच एक्साइज टैक्स बढ़ाकर इसकी खाना-पूर्ति कर ली और जिस तेल की कीमत आम उपभोक्ता को सस्ते में मिलना था, उससे वंचित हो गया। यही वजह है कि आम जनता तेल के बढ़ते दामों के बीच मोदी सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज के नाम पर बांटे गए पैसे को अपने जेब से भर रही है। उन्होंने कहा, कि आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में सबसे निराशा वाली जो सुझाव दिया गया है, उसमें मिलने वाले 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन की दुकानों से अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी करना है।
विकास उपाध्याय ने कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनित वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्न बेहद सस्ती दर पर दिये जाते हैं। इसके तहत राशन की दुकानों से तीन रूपये प्रति किलो चांवल, दो रूपये प्रति किलो गेहूँ और एक रूपये प्रति किलो दर से मोटा अनाज दिया जाता है। इस प्रणाली से निचले तक्के के 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को फायदा मिल रहा है। ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के सुझाव में इसमें बढ़ोतरी करना गरीबों के जेब में कोरोना महामारी के बीच जूझ रहे आर्थिक तंगी के बीच डाका डालना होगा। विकास उपाध्याय ने इस सर्वेक्षण में प्रवासी मजदूरों के संकट को लेकर कोई जिक्र नहीं किये जाने को लेकर भी दुर्भाग्य बताया है।
विकास उपाध्याय ने अपने बयान में यह भी कहा, कि मोदी सरकार कारोबारियों पर ज्यादा संदेह करती है, जबकि यूपीए के शासन काल में ऐसी स्थिति नहीं थी। अब इस सरकार में एक कम्पनी बनाना चुनौती पूर्ण है। इसलिए कि सरकार चिन्हित कुछ ही कम्पनियों पर केन्द्रित है, जिसे वह लगातार लाभ पहुँचाना चाह रही है। उन्होंने कहा, जिन चीजों का निजीकरण करना चाहिए उसे छोड़ यह सरकार शासकीय उन उद्मियों को निजीकरण करने तुली है, जो सरकार को फायदा पहुँचा रही है और ऐसा कर हम अपना और अपनी अर्थव्यवस्था का गला घोंट रहे हैं।
गणतंत्र दिवस पर बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस और बीजेपी पर अपने संवैधानिक दायित्वों से मुंह मोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा "इस देश की असली जनता ने लाचार, मजबूर व भूखे रहकर भी देश के लिए हमेशा कमरतोड़ मेहनत की है फिर भी उनका जीवन सुख-समृद्धि से रिक्त है जबकि देश की सारी पूंजी कुछ मुट्ठीभर पूंजीपतियों व धन्नासेठों की तिजोरी में ही सिमट कर रह गई है. देश में करोड़ों गरीबों और चन्द अमीरों के बीच दौलत की खाई लगातार बढ़ती ही जा रही है, जो खासकर भारत जैसे महान संविधान वाले देश के लिए अति-चिन्ता के साथ-साथ बड़े दुःख की भी बात है."
मायावती ने कहा "आज दिल्ली में अलग-अलग सीमाओं पर ट्रैक्टर परेड करके अनोखे तौर पर गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. हालांकि सरकार से मेरी लगातार अपील रही है कि वह किसानों की खासकर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को मान ले और फिर किसानों से आवश्यक सलाह-मशविरा करके नया कानून जरूर ले आए तो बेहतर होता. यह बात समय से केन्द्र सरकार अगर मान लेती तो आज गणतंत्र दिवस पर जो एक नई परम्परा की शुरूआत हुई है, उसकी नौबत नहीं आती."
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. इसी बीच चुनाव आयोग की एक टीम चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए राज्य के दौरे पर पहुंची है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में अधिकारी असम से यहां पहुंचे हैं. यहां सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग की बैठक हुई. बैठक में आने वाले चुनावों की तैयारी पर मंथन किया जाएगा. मीटिंग के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि राज्य में गृह युद्ध जैसे हालात हो गए हैं.
इस बैठक में बीजेपी नेताओं ने मांग की है कि वोटर्स लिस्ट को ऑडिट किया जाए. बीजेपी का आरोप है कि बॉर्डर इलाकों के वोटर्स लिस्ट में बांग्लादेश के लोगों को एंट्री दी गई है. चुनाव आयोग के साथ हुई मीटिंग में बीजेपी की ओर से स्वपन दासगुप्ता , दिलीप घोष और सब्यासाची दत्त मिलने पहुंचे थे.
वहीं तृणमुल कांग्रेस के नेता पार्थो चटर्जी ने चुनाव आयोग को बताया कि बॉर्डर इलाकों में बीएसएफ एक ही पार्टी के लिए काम कर रही है. हालंकि इस दौरान उन्होंने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया. टीएमसी नेता ने कहा कि बीएसएफ के जवान लोगों को डरा धमका रहे हैं. उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में रोहिंग्या का नाम नहीं जुड़ा है अगर कोई कह रहा है तो वह झूठ है.
पार्थो चटर्जी ने कहा कि रोहिंग्या का नाम लेकर बीजेपी चुनाव आयोग पर दवाव बनाने की कोशिश कर रही है. वहीं सीपीएम की तरफ से कहा गया कि बीजेपी और टीएमसी दोनो ही पार्टीयों ने रैली, रोड शो में "गोली मारो" स्लोगन उठा रही है तो चुनाव में हिंसा कैसे रोका जाएगा.
पिछले कुछ दिनों में बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी रैलियों या रोड शो में हिंसा देखने को मिली है. बीते दिनों हुगली में हुई बीजेपी की पदयात्रा में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 'गोली मारो...' के नारे लगाए, जिसके बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले टीएमसी की रैलियों में भी इस तरह के नारे सुनाई दिए थे.
नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर आज लगातार 55वें दिन जारी है. इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा जिसकी कीमत मध्यम वर्ग और युवाओं को चुकानी होगी.
उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि ‘‘वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं’’. राहुल गांधी का इशारा सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध की तरफ था.
राहुल गांधी ने ‘किसानों की पीड़ा’ पर ‘खेती का खून’ शीर्षक से एक बुकलेट जारी की. उन्होंने कहा, ‘‘देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है. सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है. किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है.’’
राहुल गांधी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सवालों पर जवाब देने से इनकार कर दिया. राहुल गांधी ने कहा, ''क्या जेपी नड्डा मेरे प्रोफेसर हैं कि उनका जवाब देता जाऊं, कौन हैं ये?''
जेपी नड्डा ने कहा था कि कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को सालों तक क्यों अटका रखा था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं बढ़ाया.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में ताजा विवाद नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को लेकर है. नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को लेकर बीजेपी और टीएमसी आमने सामने आ गई हैं. केंद्र सरकार ने जहां सुभाष चंद्र बोस की जयंती इस बार 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया तो वहीं ममता बनर्जी ने इसे 'देश नायक दिवस' के तौर पर मनाने का एलान कर दिया है.
केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि 23 जनवरी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई जाएगी. केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया है. इसमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, ममता बनर्जी, जगदीप धनकड़, मिथुन चक्रवर्ती, काजोल और एआर रहमान सहित 84 लोग सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं.
वहीं बंगाल में ममता सरकार ने नेता जी की जयंती को देश नायक दिवस के तौर पर मनाने का एलान किया है. इसके साथ ही ममता सरकार ने एलान किया है कि जयंती वाले दिन बंगाल में योजना आयोग जैसे संगठन की स्थापना भी की जाएगी. इसका एलान करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने नेताजी के योजना आयोग को भंग कर दिया. हम नेताजी के विजन को दुनिया के बीच ले जाने के लिए बंगाल योजना आयोग का गठन करेंगे.
बता दें कि ममता बनर्जी के इस एलान को बीजेपी की ओर से बंगाल के महापुरुषों को आदर दिए जाने की राजनीति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को लेकर ममता ने बीजेपी पर हमला किया. नेता जी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने को लेकर वे लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाती रही हैं. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी. ममता बनर्जी इस मुद्दे का अपनी सभी रैलियों में भी इस्तेमाल करती हैं.
नेता जी की जयंती पर देशभर में छुट्टी की मांग को लेकर ममता बनर्जी ने कहा, ''व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि आजादी के बाद हमने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया है. मैंने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि नेताजी की जयंती (23 जनवरी) के दिन राष्ट्रीय छुट्टी घोषित की जाये. यह मेरी मांग है.''
बंगाल की राजनीति में महापुरुषों की विरासत पर सियासी संग्राम कोई पहली बार नहीं हो रहा है. ईश्वरचंद्र विद्यासागर और रविन्द्रनाथ ठाकुर के नाम पर बंगाल की राजनीति इससे पहले गरम हो चुकी है. इस बार के चुनाव में नेता जी सुभाष चंद्र बोस पर अपना 'अधिकार जमाने' को लेकर बीजेपी और टीएमसी पूरा जोर लगा रही हैं.
कोलकाता, 18 जनवरी | एक समय के अपने विश्वासपात्र और पूर्व मंत्री सुवेंदु अधिकारी को खुली चुनौती देते हुए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ऐलान किया कि वह नंदीग्राम सीट से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। यह घोषणा नंदीग्राम में आयोजित उनकी रैली में हुई। इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले बागी तृणमूल नेता सुवेंदु अधिकारी करते थे, जो पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे।
ममता बनर्जी ने रैली में कहा, "मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी। यह मेरे लिए भाग्यशाली है। मैं नंदीग्राम को ज्यादा समय नहीं दे पाऊंगी, क्योंकि मुझे सभी 294 सीटों पर प्रचार करना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि मेरी जीत हो और बाकी मैं बाद में देख लूंगी।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगी, जिसमें कोलकाता में भबानीपुर भी शामिल है, जो उनका गढ़ है। उन्होंने कहा, "मैं भबानीपुर की भी उपेक्षा नहीं करना चाहती।"
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने भी इस साल अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बतौर उम्मीदवार ममता के नाम की घोषणा की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा प्रस्तावित एसईजेड परियोजना के विरोध में पुलिस की गोलीबारी में 14 ग्रामीणों के मारे जाने के बाद नंदीग्राम 2007 में राजनीतिक सुर्खियों में आया था।